Exercise for the Relief of Sciatica Pain
कटिस्नायुशूल दर्द से राहत के लिए व्यायाम-
व्यायाम करना आमतौर पर Sciatica Pain (कटिस्नायुशूल दर्द) से राहत के लिए बेहतर विकल्प है। क्योंकि कटिस्नायुशूल का दर्द नसों में खिंचाव या उनमें सूजन के कारण ही होता है। इसलिए व्यायाम (Exercise) इसे ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका जाना जाता है। आप इसके लिए ऐसे व्यायाम अपना सकते हैं जो आपकी कमर के आसपास की नसों में खिचाव को रोकने में कारगर हैं।
इसके अलावा आप खड़े होकर अपनी जांघों को स्ट्रेच कर सकते हैं। यह भी आपको Sciatica Pain के दर्द से राहत देगा तथा नस अपने सही स्थान पर वापस आ जाएगी। व्यायाम करने के बाद आप एक या दो दिन आराम कर भी सकते हैं। लेकिन पूरी तरह से व्यायाम बंद करना नहीं चाहिए ऐसे में वापस Sciatica Pain बढ़ सकता है।
इसके अलावा आप खड़े होकर अपनी जांघों को स्ट्रेच कर सकते हैं। यह भी आपको Sciatica Pain के दर्द से राहत देगा तथा नस अपने सही स्थान पर वापस आ जाएगी। व्यायाम करने के बाद आप एक या दो दिन आराम कर भी सकते हैं। लेकिन पूरी तरह से व्यायाम बंद करना नहीं चाहिए ऐसे में वापस Sciatica Pain बढ़ सकता है।
स्पाइनल डिस्क (Spinal discs) के लिए भी व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। यह डिस्क के भीतर पोषक तत्वों और तरल पदार्थों का एक्टिव करता है। इससे रोगी को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है और Sciatica (कटिस्नायुशूल) पर दबाव कम होता है।
Exercise for Sciatica Pain-
1- भुजंगासन व्यायाम (Bhujangasan Exercise)-
भुजंगासन का मतलब सर्प के आकार का व्यायाम जिसमे शरीर के ऊपरी हिस्से को साँप की तरह उठाया जाता है। यह Sciatica और थायराइड (Thyroid) की समस्याओं को दूर करने के साथ पेट की चर्बी (Belly Fat) को कम करने में भी फायदेमंद है। यदि आप हर्निया (Hernia) और अल्सर (Ulcer) की समस्या से परेशान हैं तो कृपया आप इस आसन को बिलकुल भी न करें।
भुजंगासन व्यायाम (Bhujangasan Exercise) विधि-
भुजंगासन (Bhujangasan) करने के लिए सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों के बीच में दूरी रखें अब श्वास को खींचते हुए अपने ऊपरी शरीर को उपर की ओर उठाएं। लेकिन ध्यान रखें कि कमर पर ज्यादा खिंचाव न हो और अपनी क्षमता के अनुसार ही इस आसन जारी रक्खें। शुरुआत में आप इसे केवल तीन से चार बार ही करने का प्रयास करें अभ्यास होने के बाद आप इसकी संख्या बढ़ा सकते हैं।
2- अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Swanasana)-
अधोमुख श्वानासन एक कुत्ते की तरह सामने की ओर झुकने का प्रतीकात्मक है इसलिए इसेअधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Swanasana) कहा जाता है। इस योगासन को करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है और कोई भी व्यक्ति जो जल्द ही योग करना शुरू कर चुका है वह भी इस आसन को कर सकता है। Sciatica Pain (कटिस्नायुशूल दर्द) में यह योग भी बेहद फायदेमंद है।
अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Swanasana) विधि-
इस आसन को करते समय ठीक वैसे ही आकृति बनायी जाती है जैसे आपने देखा होगा कि श्वान आगे की ओर झुककर अपने शरीर को खींचते समय बनाता है। आप दिए गए चित्र को देख कर समझ सकते हैं। इस आसन को करने के लिए अपने दोनों हाथ और घुटनों को खींचते हुए चित्र के अनुसार सामने लेटें। अब बॉडी का बैक उठाएं और पैर के घुटनों और हाथों को भी पूरी तरह सीधा करें। अपने दोनों हाथों को समानांतर रखें और हथेली को पूरी तरह फैलाएं। इस प्रकार आप एक से तीन मिनट तक ऐसे ही रहें।
3- कपोत आसन (Kapotasana)-
कपोत आसन को Pigeon-Mudra भी कहते है। कपोत आसन के लाभ जानने से पहले आपको यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि इसे कैसे किया जाए। कपोतासन आपके शरीर के विभिन्न प्रकार के दर्द को ठीक करने लिए विशेष लाभ दायक हैं यह आसन आपके कन्धों के दर्द, रीढ़ की हड्डी का दर्द, सायटिका के दर्द (Sciatica Pain) और हाथों में लचीलापन लाने में आपकी मदद करता हैं।
किसी भी योग को करने से पहले उसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कपोत आसन की विधि विस्तार से।
कपोत आसन (Kapotasana) विधि-
कपोत आसन (Pigeon-Mudra) के लिए आप सबसे पहले वज्रासन में बैठें या आप फिर आप उष्ट्रासन में भी बैठ सकते हैं। वज्रासन में बैठने के बाद आप एक गहरी सांस लें और अपने दोनों हाथों को कमर की तरफ पीछे की ओर रखें या फिर उष्ट्रासन में बैठें और उष्ट्रासन में बैठ के अपने दोनों हाथों को पैरों के पंजो पर रखें।
उष्ट्रासन में बैठ के शरीर के उपरी हिस्से को यानि अपनी गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं और उसके बाद धीरे धीरे अपनी कमर को भी साथ में पीछे की ओर झुकाते जाएं। अब अपने दोनों हाथों को अपने पैरों के पीछे जमीन की ओर ले जाने की कोशिश करें।
यदि आप झुकते समय अपने हाथों को फर्श पर रखने में असुविधा महसूस करते हैं तो आप वज्रासन का उपयोग करें। इससे आपको अपने हाथों को जमीन के पीछे रखने में मदद मिलेगी। दोनों हाथों को ज़मीन से लगाने के बाद आप अपने हाथों को अपने दोनों पैरों के पंजों पर धीरे-धीरे रखें। इस स्थिति में आपके दोनों हाथ कोहनी से मुड़ जाएंगे।
कुछ सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहने के बाद आप अपने हाथों को फिर से पैरों के पंजों पर ले आएं और पंजों पर रखकर अपनी एड़ी को पकड़ लें। इस मुद्रा में आप कबूतर के बैठने की मुद्रा में आ जायेगें। अब आप अपनी क्षमता के अनुसार थोड़ी देर इस मुद्रा में रहें। इसके बाद हाथों की मदद लेते हुए पैरों को सीधा करें और वापस अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
4- अपानासन योग (Apanaasan Yoga)-
इस आसन को करने से आपको कटिस्नायुशूल के दर्द (Sciatica Pain) और सुन्नपन (Numbness) की समस्या से पूर्ण राहत मिलती है। अपान-आसन-पवनमुक्तासन का ही एक रूप है। कटिस्नायुशूल के अलावा, पेट की चर्बी (Belly Fat) को कम करने के लिए यह फायदेमंद आसन है। अगर आपको घुटनों या गर्दन में दर्द है तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
अपानासन योग (Apanaasan Yoga) विधि-
इस आसान को करने के लिए आप सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब आप अपने पैरों को उठाएं और घुटनों को छाती के पास लाएं। अब अपने सिर को उठाएं और ठोड़ी को घुटनों से छुएं। फिर आप अपने घुटनों को मोड़ें और इसे अपनी बाहों के घेरे के अंदर लें लें। इस मुद्रा में आप जब तक आप रह सकते हैं तब तक इस मुद्रा में रहें और फिर सांस छोड़ते हुए अपने पैरों को सीधा करें। शुरुआत में आपको इसे अपनी क्षमता के अनुसार थोड़ी देर के लिए करना चाहिए। अभ्यास होने पर आप इसके समय को बढ़ा सकते है।
5- सुप्त पादांगुष्टासन (Supta Padangusthasana)-
यह आसन पैरों के खिचाव पर फोकस करने की प्रक्रिया है। जो आपको कटिस्नायुशूल (Sciatica Pain) की समस्या में बहुत अधिक राहत देता है।
सुप्त पादांगुष्टासन (Supta Padangusthasana) की विधि-
सबसे पहले आप अपने दोनों पैरों को फैलाकर पहले लेट जाएं। अब एक पैर उठाएं और एक लंबा कपड़ा लें जिसमें आप अपने पंजे को आसानी से रख सकते हैं और हाथ में अच्छी तरह पकड़ भी सकते हैं। दिए गए चित्र के अनुसार आप पैर को धीरे-धीरे फैलाएं। घुटने को मोड़े बिना पैर को सिर की तरफ लाने का प्रयास करें। इस तरह कुछ समय तक बने रहें।
6- शलभासन योग (Shalabhasan Yoga)-
इसे आसन को नियमित करने से आपको कटिस्नायुशूल (Sciatica Pain) से कमर और पीठ दर्द (Backache) में बहुत राहत मिलती है। यह अस्थमा (Asthma), वजन घटाने (Weight loss) और कब्ज (Constipation) की समस्या को कम करने में भी सहायक है। इसका उपयोग हाथों और कंधों को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है। यह योगासन कटिस्नायुशूल को बहुत राहत देता है।
शलभासन योग (Shalabhasan Yoga) विधि-
सबसे पहले आप सामने की तरफ लेट जाएं और फिर सांस लेते हुए अपने पैरों को दिए गए चित्र के अनुसार उठाएं। अब अपने हाथों की मुट्ठी बनाएं और इसे अपनी जांघों के नीचे रख लें। आप अपने पैरों को बिना मोड़े बिलकुल सीधे रखें और गहरी-गहरी सांस लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए पैरों को धीरे-धीरे नीचे रखें।
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